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रहस्यमाई चश्मा भाग - 7




सबने एक मत से चौधरी साहब को सुझाव दिया की सिंद्धांत बाबू को भेजा जाए, वे पड़े लिखे समझदार है और किसी भी परिस्थिति चुनौती से निपटने सक्षम है अतः उन्ही को भेजना उचित रहेगा चौधरी साहब ने सुखिया से आदेशात्मक लहजे में बोले जाओ सिंद्धात बाबू को जल्दी बुला कर ले आओ,
 सुखिया दौड़ा दौड़ा गया और लगभग घंटे भर बाद सिद्धान के साथ लौटा चौधरी साहब ने सिद्धांत से कहा! सिंद्धांत बाबू आप ही संकट मोचन है आप उस नौजवान के गाँव चले जाओ सिद्धान ने पूछा कौन नौजवान चौधरी साहब ने कहा, वही जिसे आप डा रणदीप के अस्पताल में इलाज के लिये भर्ती कराना था सिद्धान्त को लगा की चौधरी साहब ने उससे ऐसा कह कर उसकी भावनाओ पर कुठाराघात किया क्योकि जब से चौधरी साहब सुयस को घायल अवस्था में लेकर आये थे तब से उनका आकर्षण सिर्फ सुयस की तरफ था जो सिद्धांत को अच्छा नहीं लगता था फिर भी मालिक का आदेश था उसे जाना ही था उसने जाने की हामी भर दी तब चौधरी साहब ने कहा सिंद्धांत बाबू आप जाए और उस नौजवान की माता जी को साथ लेकर आएं क्योकि वह माता जी के पास जाने को जिद्द कर रहा है और डा रणदीप का कहना है की वह अभी कम से कम पन्द्रह दिनों तक मूब नहीं कर सकता है अतः मैंने बेहतर समझा की उसकी माँ को ही बुला दिया जाए!

 सिद्धांत ने सिद्धान्त ने भी सहमति व्यक्त करते हुए कहा, बहुत अच्छा निर्णयः है मेरा सौभाग्य है की मै भी किसी तरह से कोई योगदान करने में सक्षम हो पा रहा हूँ ।

चौधरी साहब ने आदेशात्मक लहजे में कहा की जल्दी से जाइए तैयार होकर आवश्यक सामान भी साथ रख लीजियेगा हो सकता है एक दो दिन रुकना पड़े ।

सिद्धांत फ़ौरन गया और लगभग एक घंटे जाने के लिये पूरी तरह तैयार होकर चौधरी साहब के सामने खड़ा हो गया। चौधरी साहब ने मुन्ना मियां को कहा मियां बग्घी से सिद्धान्त को रेलवे स्टेशन छोड़ आओ और हाँ सिद्धांत मैंने मुनीम जी से बोल दिया है रास्ते के खर्चे के लिये जितने रुपये की आवशयकता हो आपको दे दे ।सिद्धांत आज्ञाकारी की तरह सर हिलाते जाने के लिए निकल पड़ा।
 शुभां सुरहू पहलवान के यहाँ से लौटने के बाद अपनी झोपड़ी में सुबह होने के इंताज़र करने लगी उनकी आँखों में नीद का नामो निशांन नहीं थी लम्हा लम्हा बेटे सुयस के इंतज़ार में किसी तरह कट रहा था कभी कभी किसी अशुभ अनहोनी के डर से एका एक घबड़ा जाती! फिर किसी तरह से खुद को संभालती किसी तरह रात बीती और सुबह के सूर्य ने दस्तक दी शुभा किसी तरह से हिम्मत करके उठी और भागे भागे उस और गई जिधर गाव था!

 गाव के हर दरवाजे पर जाती पूछतीं सुयस को कही देखा है पहले तो गाव वालों को लगा की शुभा को बेटे की जुदाई के गम ने व्यथित कर दिया है मगर सुबह से शाम गांव के दरवाजे दरवाजे अपने बेटे के विषय में जानकारी के लिए भटकती रही गांव वालों को लगा की बेटे के गम ने शुभा को पागल कर दिया है!

गांव वाले शुभा से परहेज़ करने लगे शुभा ने पिछले तीन दिनों से कुछ खाया नहीं था घर में खाने के लिए कुछ था ही नहीं बेटे को भी उसने पड़ोस से लाई चना उधार मांग कर जाते हुए दिया था।

सुबह से शाम हो गयी गाव में किसी ने उसका मज़ाक उड़ाया किसी ने धुतकार दिया हतास निराश शुभा ने स्वयं बेटे को खोजने का निर्णय ले लिया वह गाव से बाहर निकली और सड़क पर बेहतशा भागते हुए रास्ते pr हर आने जाने वालों से अपने बेटे सुयस के विषय में पूछती इसी तरह वह गाँव से काफी दूर निकल चुकी थी रात काफी ढल चुकी थी!

 शुभा को किसी रास्ते की कोइ जानकारी नहीं थी वह चलती जा रही थी आधी रात हो चुकी थी अब रास्ते पर आने जाने वाले मुशफिर भी नहीं नज़र आ रहे थे मग़र शुभा हर खतरे से बेपरवाह चलती जा रही थी भूखी प्यासी परेशान बेहाल एका एक उसकी नज़रो के सामने अँधेरा छा गया और वह रास्ते के सामने एक पेड़ से टकरा गई टकराकर वह किनारे कीचड़ में गिर गयी पेड़ से टकराने के कारण उसके सर फट चूका था और खून टपक रहा था मगर उसे होस् नहीं था वह कीचड़ में बेसुध पड़ी थी चुकी रात बहुत हो चुकी थी रास्ते पर आना जाना बंद हो गया था!

अतः शुभा पूरी रात लगभग पूरी रात अचेत कीचड़ पड़ी सुबह ब्रह्म मुहूर्त की बेला में उसे जब चेतना का एहसास हुआ तब वह कीचड़ से निकलने का प्रयास करने लगी बेटे के बिछड़ने का गम साथ ही साथ पिछले चार पांच दिनों से एक भी नेवाला नहीं खाया था जिसके कारण जिस्म में रही सही ताकत भी जाती रही ।



शुभा कीचड़ से निकलने का प्रयास ही कर रही थी तब तक अँधेरा छट चूका था सुनसान रास्ते पर एक्का दुक्का pr लोग आते जाते दिखने लगे रात का अँधेरा छटने लगा भगवान भास्कर की लालिमा लिये छटा दुनिया को नए सूर्योदय के नई ऊर्जा का संचार कर रही थी।

मगर दुनियां भर की निराशा न छटने वाला अँधेरा और निरंतत न समाप्त होने वाले नयी नयी मुसीबते जैसे शुभा के जीवन कि सच्चाई बन गयी थी जो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी खम्भे से टकराने के कारण गंभीर घाव असह बेदना को लिए शुभा कीचड़ से निकल सकने का जद्दोजहद कर रही थी!


जारी है






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5 Comments

kashish

09-Sep-2023 07:48 AM

V nice

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KALPANA SINHA

05-Sep-2023 12:00 PM

Amazing

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Gunjan Kamal

14-Jul-2023 12:31 AM

👏👌

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